मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

मासूम चाहत

सोते- सोते,
कभी रोती है,
कभी हंसती है।
कच्चे दूध सी,
मेरी मासूम चाहत
महकती है।

कभी पेट पर,
कभी छाती पर,
गुदगुदाते हैं
उसके नन्हें पांव।
सच का सूरज,
जब जलाता जिया,
किलकारी बनकर
मेरी मासूम चाहत
बरसती है।

कलेजे के टुकड़े को,
कलेजे से बांधूं।
आंखों के तारे को,
आंखों से निहारूं ।
कुछ ऐसी ही ख्वाहिश,
दिल में कलपती है।
मेरी मासूम सी चाहत
आंसू बन भटकती है।

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010

दो छोटी •विताएं

दो छोटी •विताएं
ए•
बहुत पानी है तुम्हारे बिना
और बहुत प्यास भी।
बहुत निराशा है तुम्हारे बिना
और बहुत आस भी।
असमंजस और आश्वासन
दोनों तुम्हारे बिना
और तुम्हारे साथ भी।

दो
खामोशी •ी भाषा में
बैचेनी •ी लिपि में
उस अजन्मे रिश्ते ने
•ितनी चीखें मारी
•ितने •िए सवाल
हाय! अरसे बाद क्यों
हाथ लगी वह
धूल भरी •िताब और
भीतर •ा सूखा गुलाब।

दो छोटी कविताएं

ए•
ए•बहुत पानी है तुम्हारे बिना और बहुत प्यास भी। बहुत निराशा है तुम्हारे बिना और बहुत आस भी। असमंजस और आश्वासन दोनों तुम्हारे बिना और तुम्हारे साथ भी।
दो
खामोशी •ी भाषा मेंबैचेनी •ी लिपि मेंउस अजन्मे रिश्ते ने•ितनी चीखें मारी•ितने •िए सवालहाय! अरसे बाद क्योंहाथ लगी वहधूल भरी •िताब औरभीतर •ा सूखा गुलाब।