कूड़ों की ढेर में
मिलती है
नन्ही सी जान।
नमक चटा कर
आज भी लिए
जाते हैं
अनचाही बेटियों के प्राण।
कोख में ही
जो खत्म नहीं
कर दिए जाते
वे बच्चे रेल,
सड़क और चौराहों पर
चिथड़ों में लिपटे मिलते हैं।
मां के दूध के लिए
अनाथालयों में
रात- दिन रूदन गंूजते हैं।
...और मंदिरों में बजती हैं
घंटियां, दरगाहों में
बांधे जाते हैं
मन्नत के धागे।
एक औलाद की चाहत में
शरीर परखनली बन जाता है
भटकते है
कितने ही अभागे।
मिलती है
नन्ही सी जान।
नमक चटा कर
आज भी लिए
जाते हैं
अनचाही बेटियों के प्राण।
कोख में ही
जो खत्म नहीं
कर दिए जाते
वे बच्चे रेल,
सड़क और चौराहों पर
चिथड़ों में लिपटे मिलते हैं।
मां के दूध के लिए
अनाथालयों में
रात- दिन रूदन गंूजते हैं।
...और मंदिरों में बजती हैं
घंटियां, दरगाहों में
बांधे जाते हैं
मन्नत के धागे।
एक औलाद की चाहत में
शरीर परखनली बन जाता है
भटकते है
कितने ही अभागे।
कितना कडवा सच ...बहुत मार्मिक रचना
जवाब देंहटाएंjhakjhor diya dil ke her darwaze ko
जवाब देंहटाएंkya baat. kya baat. kya baat. vakai sach.
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