पटना में जन्म, परवरिश व शिक्षा-दीक्षा। ईटीवी बिहार, दैनिक हिन्दुस्तान, पटना दूरदर्र्शन आदि ने पत्रकारिता की व्यावहारिक शिक्षा दी। एक वर्ष बीकानेर व 6 वर्ष जयपुर संस्करण में गुजारने के बाद संप्रति दैनिक भास्कर के ही रांची संस्करण में बतौर सीनियर सब एडिटर जुलाई 2010 से कार्यरत। जहां तक पुनश्च का सवाल है तो यह जिंदगी से बार- बार रूठ जाने वाली कविता को मनाने का एक प्रयास है।
आईआईटीयन चंद्रशेखर बने स्वामी पशुपतिनाथ
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सैयद शहरोज़ क़मर *की क़मर से *
सनातन परंपरा की अलौकिकता के महाकुंभ सिंहस्थ उज्जैन में देश-दुनिया की
विभिन्न रंगत अकार ले रही है। श्रद्ध...
यह लालच मरता क्यों नहीं?
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छठी में एक कहानी पढ़ी थी। लालची कुत्ते की 'ग्रीडी डॉग'। पढ़ी अंग्रेजी में
थी पर याद हिंदी में है। लालच के बहकावे में आकर कुत्ते ने अपनी परछाई से ही
दूसरी र...
अलविदा!! अहमद फ़राज़
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*हिन्दुस्तानी का शायर अहमद फ़राज़* :
*किस-किस को बताएँगे जुदाई के सबब हम*
उर्दू ज़बान हिन्दुस्तानी उपमहाद्वीप की साझा-संस्कृति और परम्परा की उपज है.यह
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Ye purani khushbu jinda hokar ab adaayen bikher rahi hain. It is too good!
जवाब देंहटाएंThanks & keep it up.