दो छोटी •विताएं
ए•
बहुत पानी है तुम्हारे बिना
और बहुत प्यास भी।
बहुत निराशा है तुम्हारे बिना
और बहुत आस भी।
असमंजस और आश्वासन
दोनों तुम्हारे बिना
और तुम्हारे साथ भी।
दो
खामोशी •ी भाषा में
बैचेनी •ी लिपि में
उस अजन्मे रिश्ते ने
•ितनी चीखें मारी
•ितने •िए सवाल
हाय! अरसे बाद क्यों
हाथ लगी वह
धूल भरी •िताब और
भीतर •ा सूखा गुलाब।
आईआईटीयन चंद्रशेखर बने स्वामी पशुपतिनाथ
-
सैयद शहरोज़ क़मर *की क़मर से *
सनातन परंपरा की अलौकिकता के महाकुंभ सिंहस्थ उज्जैन में देश-दुनिया की
विभिन्न रंगत अकार ले रही है। श्रद्ध...
8 वर्ष पहले
bahut achhi kavitayen. donon main hi bhavnaon ki shabdon se nikatata saaf jhalakati hai.
जवाब देंहटाएंबहुत पानी है तुम्हारे बिना
जवाब देंहटाएंऔर बहुत प्यास भी।
बहुत निराशा है तुम्हारे बिना
और बहुत आस भी।
असमंजस और आश्वासन
दोनों तुम्हारे बिना
और तुम्हारे साथ भी।
beautiful.
वाह !!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !!!
bahut sundar......kHoobsOOrat!
जवाब देंहटाएंबहुत खुश किस्मत हैं आप कि आपके पास वो किताब है भले ही वो धूल से ही क्यों न सनी हो क्योंकि..
जवाब देंहटाएंये जो आइने पे गुबार है
ये तेरी नज़र का फ़िसार है
जिन्हे था संवरने का हौसला
इसी आइने में संवर गए...
सौरभ कुणाल
www.syaah.blogspot.com
assistant producer
voice of india news channel