गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

रिअलिटी शो सच का सामना में शामिल एक महिला प्रतिभागी पर

हाँ, की है प्रेमी से तुमने
थोड़ी सी बेवफाई
माँ-बाप से झूठ भी बोली हो
किसी की चोट पर ख़ुशी होती है
यह राज भी तुम्ही खोली हो!
हथेली रंग ली है
सपने चुराएहै
सहेली की आंसू से
काजल भी सजाए हैं !
पर इन आँखों से अब भी
क्यों मासूमियत चहकती है
सम्पर्पण की आंधी से
तेरी सांसें जैसे बहकती है!
क्यों अब भी तेरा चेहरा
लगता है सच की ओस mein
भींगा अधखिला गुलाब
क्यों भीतर से निकलती है दुआ
मिले तुझे जहाँ की खुशियाँ
पूरे हो तेरे हर ख्वाब !
हाँ] मान लेती हो तुम
की परिस्थितियों ने
बना दिया है तुम्हे कुछ गन्दा
पर यकीं मानो
हो जायेगी दुनिया बेहद हसीं
गर तुम सा हो जाए
हर बन्दा!

1 टिप्पणी:

  1. माँ-बाप से झूठ भी बोली हो
    किसी की चोट पर ख़ुशी होती है
    यह राज भी तुम्ही खोली हो!

    पटना का पूरा टोन है आपकी लेखनी में...
    saurabh kunal

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