हां, मैं उदास हंू,
तन्हाइयों के पास हंू।
दूर तक
विस्तार है,
अंतहीन
आकार है,
चांद-तारों बिना
मैं आकाश हंू।
हां, मैं उदास हंू।
बंजर
जमीन है,
नभ
नीर हीन है,
बिखरे बीज का
मैं प्रयास हंू।
हां, मैं उदास हंू।
छैला संदु पर बनी फिल्म को लेकर लेखक-फिल्मकार में तकरार
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मंगल सिंह मुंडा बोले, बिना उनसे पूछे उनके उपन्यास पर बना दी
गई फिल्म, भेजेंगे लिगल नोटिस जबकि निर्माता और निर्देशक का
लिखित अनुम...
8 वर्ष पहले
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