भगाने को
मन का अंधकार,
काफी है एक
टिमटिमाता दीया!
पलटकर एक नजर
देखना उनका
जोड़ जाता है जिया!
मु_ी भर सकून,
नजरो भर आकाश,
आंचल में लंू समेट
बस इतना दो प्यार!
टूटे नहीं लय-छंद,
दास्तां नहीं यह
हार-जीत की,
चाहत बस इतनी सी
जीवन में
कविता रहे बरकरार!
आईआईटीयन चंद्रशेखर बने स्वामी पशुपतिनाथ
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सैयद शहरोज़ क़मर *की क़मर से *
सनातन परंपरा की अलौकिकता के महाकुंभ सिंहस्थ उज्जैन में देश-दुनिया की
विभिन्न रंगत अकार ले रही है। श्रद्ध...
7 वर्ष पहले
बहुत अच्छा लिखा।
जवाब देंहटाएंसुनील पाण्डेय
इलाहाबाद।
09953090154